आपने वो कहावत तो सुनी होगी ‘घर का भेदी लंका ढावे ̉ रावण ने चाहे जितने ही
पाप किए हो जितने अत्याचार
किए हो ....पर
उसका विनाश कभी न होता यदि उसका अपना भाई विभीषण
उसका भेद प्रभु श्री राम से न बताता , यानी लंका के विनाश का कारण कौन था – विभीषण ...अब बताइए एक विभीषण ने
लंकाधिपति रावण जिसके दस शीश, बीस भुजाए थी ...उसका विनाश करवा दिया तो
फिर सोचिए इस समाज का क्या हाल होगा जहा
हर घर मे एक विभीषण है या फिर ऐसा कहा जाए कि हर भाई दूसरे भाई के लिए विभीषण है तो
गलत नहीं होगा क्योंकि आज समाज मे
यही तो हो रहा है यदि एक भाई थोड़ा आगे निकल गया तो दूसरा भाई उसे मात देने के लिए
ऐसे लोगों को दोस्ती करने के लिए ढूंढता है जिससे कि वह उसके दुश्मन के साथ मिलकर
आपने ...भाई को हरा सके इससे ज्यादा शर्म की
बात और क्या हो सकती है कि जो देश कभी विश्व बंधुत्व का पाठ पढ़ाता था दूसरे देशों को, जिसका भाई चारा मिसाल था सबके लिए ...आज वह देश विभीषणों के कारण आतंकवाद का शिकार हो गया है क्योंकि घरो के अलावा कुछ ऐसे
विभीषण भी है जो देश के लिए कलंक है, जो रहते तो हिंदुस्तान में है लेकिन चंद रुपयो के खातिर अपने ही देश की जासूसी करते
है पड़ोसी मुल्कों के भेदिए बन बैठे है वो जो अपने
ही भाइयों का खून बहा रहे हैं .....इसलिए आज आवश्यकता रावण से अधिक विभीषणों से देश को बचाने की है ...बचाइए इस देश को विभीषणों
से और ऐसा तभी संभव हो सकता है जब आप विभीषण न बने .....
अंजलि पंडित ।
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