Friday 18 April 2014

क्या मिलेगा .....? ठेंगा.....!

भारतीय संविधान की पंद्रहवीं लोक सभा का संग्राम जारी है ...... आलोचना और अभिव्यंजना अपने चरम पर है ........ सत्ता के सागर को सुरक्षित पार  करके जाने का प्रतिभागियों के पास एकमेव मार्ग है ....अपने साथ चल रहे प्रतिभागी को डुबो दो ...... अपने आप को सही साबित करना ठीक है , परंतु दूसरों को प्रण-प्राण से नीचा दिखाने के लिए स्वयं की मर्यादा भूल जाना कितना उचित है .....ये किसे कौन समझाये ? .....चोर-चोर मौसेरे भाई ........ ! क्षमा कीजिये किसी की आलोचना करना मेरा मकसद नहीं ........पर दिल के गुबार का क्या करें ........! कमबख्त निकल ही पड़ता है ............. चलिये ये सब बातें छोड़ कर मैं मुद्दे की बात पर आती हूँ क्योंकि आजकल मुद्दा बहुत चर्चे का विषय है .........नहीं....नहीं .....नेता जी वाले मुद्दे की ओर दिमाग मत ले जाइए ..... क्योंकि इस समय उनसे अधिक परोपकारी और दीन इलाही कोई नहीं है ......अच्छा है ....! ..... पर  राम राज्य बनाने वाले इन मर्यादा पुरषोत्तमों के हृदय में यह परोपकार कब तक रहेगा .....ये मुझे तो नहीं पता .....मैं भी न .....किन बातों में उलझ बैठी .....! इस समय जिसे देखो एक ही बात कह रहा है कि अपना मतदान योग्य व्यक्ति को दें .......राष्ट्र निर्माण में भागीदार बने ....... ! बहुत सारे विकास के वादे भी हैं और नारे भी ..... मजदूर हैं भारत के मजबूत हाथ ,,,,,,, हो रहा भारत निर्माण ......! अच्छे दिन आने वाले हैं ..... ! आदि...आदि... कुछ भी हो अच्छे दिन देखने के लिए सभी लालायित हैं ...... मैं भी ..... ! एक बार मौका देने वाली बात पर भी कोई बुराई नहीं है .......मौका सभी को मिलना चाहिए ......पर जो बात  मेरे मन में खटक रही है , वह यह है कि मौका पाने के बाद कोई मुकर गया तो क्या होगा .......! सेवक शासक बन बैठा तो फिर क्या मिलेगा ....? ठेंगा....! अगर सुपात्र दान लेकर कुपात्र हो जाए ........तो क्या होगा .....! नहीं सोचा आपने इस बारे में तो सोचिए ........ एक बार हाथ जोड़ लेने से पाँच सालों के लिए हम कब तक अपना देश .....अपना भाग्य इन्हे सौपते रहेंगे ........ मेरी राय बस इतनी है कि दे दीजिये जिसे जो देना है ......... बेशक गाइए गुणगान उसके , जिसके आप पक्षधर हैं .......... लेकिन एक प्रण साथ में लेते चलिये कि जिस तरह उन्हें आप सत्ता सौप रहें हैं ....... अगर समय पर उन्होने अपने ही वादे पूरे नहीं किए तो पाँच सालो से पहले ही उन्हें उखाड़ फेकेंगे ........ और फिर से किसी नए मौके को चुनेगे ...... ये बगावत नहीं...... ये ......हमारी ताकत है , मेरी...आपकी....हम सबकी ....ताकत .......और हम उसका इस्तेमाल जरूर करेंगे ........ 

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