Saturday 6 July 2013

आखिर क्यों घट रही है रिश्तों की अहमियत !

आज हमारे समाज का चलन और परिवेश दोनों ही तेजी से बदल रहे हैं , हर कोई स्वयं को अधिक कामकाजी और व्यस्त दिखाने की होड़ में लगा हुआ है... या फिर ये कहा जाए कि पहले की अपेक्षा लोग अपनों की जगह अपने आप को अधिक महत्व देने लगे हैं , मतलब मेरी पढ़ाई.... मेरा कैरिअर.... मेरी लाइफ .... मेरी प्राइवेसी...आदि तो गलत नहीं होगा , और इसमे कोई खामी भी नहीं है , विकास की ओर अग्रसर होना एक अच्छी आदत है परन्तु इन सभी बातों ने जिस पर सबसे अधिक प्रहार किया है वह है...रिश्तों की अहमियत । आज के आपा-धापी भरे जीवन में रिश्तों का वजूद बिखरता जा रहा है.... रिश्तों से मिठास कहीं गायब सी होती जा रही है । ऐसे में एक महत्वपूर्ण प्रश्न हमारे सामने आता है कि आखिर क्यों घट रही है रिश्तों की अहमियत...? रिश्तों की घटती अहमियत कहीं इस बात का संकेत तो नहीं अब हम मे सामंजस्य रखने की क्षमता नहीं रही...हम अपने रिश्तों को निभाने में अक्षम हो रहे हैं.....या फिर कहीं व्यस्तता का बहाना करके हम अपनी जिम्मेदारियों से भाग तो नहीं रहे, क्योंकि उन्हें उठाने में हम समर्थ नहीं हैं । ज़िम्मेदारी का अर्थ केवल परिवार का भरण-पोषण करना नहीं होता बल्कि परिवार को प्रेम और विश्वास के साथ खुशियों का आदान-प्रदान करना और आपस में आपसी समझ का होना आवश्यक होता है । सही मायने में आपसी समझ और प्यार वही होता है जो एक सदस्य का दर्द दूसरे की आँखों में आँसू बनकर निकले या फिर हम एक दूसरे की अनकही बातों को भी समझ जाएँ , पर आजकल ऐसा देखने को मिल रहा है कि अनकही बातों को समझना तो दूर ...हम अपनी ही कही हुई बातों से मुंह फेर लेते हैं । यह कितना उचित है...हमे इस बात पर विचार अवश्य करना चाहिए कि वास्तव में हमारी प्राथमिकता क्या है ...? वो कड़वाहट जो हम अपने रिश्तों में घोल रहे हैं, उसके साथ हम कितने दिन जी सकते हैं...?

हमारा जीवन साथी हमारे वजूद की पहचान होता है , हमारे माता-पिता हमारे अस्तित्व के नियामक होते हैं ... ऐसे में उनके लिए हमारे पास समय का न होना क्या हमारे ओछेपन की निसानी नहीं.... अगर उन्होने भी समय न होने का बहाना करके हमसे मुंह फेर लिए होता तो क्या आज हम वहाँ पहुँच पाते जहां आज हम हैं...? या फिर हम इतने स्वार्थी हो गए हैं कि अपनी बुनियाद से ही अलग होने की कोशिश कर रहे है । ऐसे में एक सीधा सा प्रश्न यह उठता है कि क्या जड़ों से अलग होकर किसी पेड़ का फलना-फूलना मुमकिन है...? या फिर जिन रेशमी धागों से हमारा ताना-बना बुना है उसमें से किसी एक डोर को काटने के बाद वह ढांचा यूं ही बन रह सकता है...? और दूसरा प्रश्न जो बार-बार दिमाग में आता है कि आखिर ऐसी क्या वजह है जो हमे रिश्तों में ताल-मेल बना पाने में असमर्थ बना रही है ? क्या वास्तव में ऐसी कोई वजह है ....या फिर यह हमारे द्वारा बनाया हुआ भ्रम है ...? एक ऐसा मुद्दा है जो अधिकतर लोगों के द्वारा उठाया जाता है ...वह है समय का अभाव पर यदि थोड़ी सी सूझ-बूझ से काम लिया जाए तो यह इतनी बड़ी समस्या नहीं है... हम कम समय में भी परिवार के साथ प्रेम और वैचारिक सहमति बनाकर चल सकते हैं । जितनी हृदयता और प्रेम से हम बाहरी लोगों के साथ बात करते हैं और व्यवहार करते हैं यदि उतना ही प्रेम घर पर भी दें तो घर स्वर्ग बन जाएगा ...फिर कभी रिश्तों में कोई दरार नहीं आएगी लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते । एक बात और है जो मेरे दिमाग में अक्सर कौंधती है कि कहीं हम क्षणिक रिश्तों की ओर अधिक आकर्षित तो नहीं हो रहे या फिर भ्रम और दिखावे की दुनिया हम अधिक पसंद करने लगे हैं ... क्योंकि जब से इंटरनेट पर फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों का प्रयोग बढ़ा है लोग अंजान लोगो के साथ बात करने में अधिक दिलचस्पी रखने लगे हैं , जिन बातों का कोई अर्थ नहीं होता... कोई मतलब नहीं होता उनमें वो समय को बर्बाद करते हैं , जबकि अपने परिवार के लिए उनके पास समय नहीं होता । इन सभी बातों पर गहनता से विचार करने की आवश्यकता है कि जो राह हम अपने लिए चुन रहे हैं वह कितनी सही है ...और उसका क्या अंजाम होगा ...? कहीं ऐसा तो नहीं कि  हम अपने आपको अधिक सक्रिय और व्यस्त दिखाने की मंसा में अपने मूल से ही अलग हो रहे हैं । जब हम अपने निजी जीवन में सामंजस्य बनाकर नहीं चल सकते...  कुशलता पूर्वक अपने रिश्तों का निर्वाह नहीं कर सकते तो फिर हमारे द्वारा किसी बड़े कार्य को सुचारु रूप से करने का दावा करना कितना ठीक लगता है । कहने का अभिप्राय यह है कि समय रहते हमे इस बात पर विचार करना ही होगा कि हमारे रिश्ते में कड़वाहट कि वजह क्या है ....इतनी तेजी से रिश्तों के बिखरने का कारण क्या है ....? और रिश्तों की अस्मिता को आधुनिकता की बलि चढ़ने से बचाना होगा और यह काम इतना मुश्किल नहीं है यदि हम अपने रिश्तों को प्रेम, विश्वास, और ईमानदारी के साथ निभाएँ तो हमारे रिश्तों की डोर टूटने से बच जाएगी और हमारा जीवन खुशहाल बना रहेगा । 

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